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कविता

जब नाजी कम्युनिस्टों को खा गए

मार्टिन नीम्योलर

अनुवाद - प्रतिभा उपाध्याय


जब नाजी कम्युनिस्टों को खा गए,
मैं चुप रहा; क्योंकि मैं कम्युनिस्ट नहीं था।

जब उन्होंने सामाजिक लोकतंत्रवादियों को कैद किया,
मैं चुप रहा; क्योंकि मैं सामाजिक लोकतंत्रवादी नहीं था।

जब वे मजदूर संघों पर झपटे,
मैंने कोई विरोध नहीं किया, क्योंकि मैं मजदूर संघवादी नहीं था।

जब वे यहूदियों को खा गए,
मैंने कोई विरोध नहीं किया; क्योंकि मैं यहूदी नहीं था।

जब वे मुझे खाने आए,
तब विरोध करने के लिए कोई बचा ही नहीं था।


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